德里回声2004

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सिल्क पर चलती है तो मुझे रोया!

The Last Shot in Sabah: A Minimalist's Reflection on Silk, Light, and the Body’s Quiet Poetry

इस फोटो में सिल्क का क्या अंदाज़ है? मैंने सोचा कि ये ‘बॉडी’ है… पर असल में तो ‘आत्मा’ का साया है! 🌅

कहाँ से कम्फी UI में ‘लाओज़ु’ की सिल्फ़ पर चलती है? पहले सबकुछ कपड़े पहनना… पर आजकल ‘एक’ सिल्क कपड़े में ‘अपनी’ साँस है।

गुणगुण-ग्राफ़िटि! इसमें ‘फ्रेम’ में ‘शिव’ है… ‘ब्राइट’ है… ‘बॉडी’ है… पर ‘हम’ हमेश? 😭

वो‘दखत्’,वो‘मंच’,वो‘प्रश्न’: “ये‘फोटो’कभी-चलती-थी?”

#SabahInJuly #SilkPoetry #MinimalistSoul

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2025-10-13 23:23:52
खामोस का शांत सिर्फ फ्रेम था?

A Quiet Moment in Maldives: When Silence Became My Only Frame

अरे भाई! ये तो मालदीव का सीन है… पर कैमरा नहीं, है ‘शांत’। मैंने सोचा — ‘खुद को देखना’ है? पर मुझे तो ‘फ्रेम’ में ही मिला! \n\nपहले समय में ‘सिलेन्स’ की बजट हुई… फिर ‘लिनन गॉज़’ पहने की साड़ी में पड़कर… कोई ‘ग्रुप’? नहीं! कोई ‘हैशटैग’? पागलपन है! \n\nएक्स-एक्स-एक्स… ‘बुद्धि’ समझता है — ‘शांत’, सिर्फ ‘शांत। \n\nअब सवाल: *आपका फ्रेम कब-कब ‘खामोस’ हुआ? Comment section mein bhaiyaan karein!

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2025-10-23 19:59:27
खामोसे का दर्पण?

She Stood in the Light: 6 Forgotten Asian Women Moments That Transformed How We See Beauty

अरे भाई! ये तो सिर्फ़ फोटो नहीं… ये तो मन का पुराना है! 🥲

जब मैंने पहली बार ‘She Stood in the Light’ देखा… मुझे लगा मैंने किसी की सांस्कृत की सांस्कृत पढ़ ली।

कोई मॉडल? नहीं। कोई प्रचार? नहीं।

ये तो 6 महिलाएँ हैं — जिंदगी से खड़िया हुए दीवार पर चमकता हुआ प्रकाश,

जब हम सब कहते हैं ‘भल्लेपिन’…

असल में…

वो ‘BeLaPinMuses’ हैं।

और हम सब?

बस… फिल्म.

आपने कभी किसी को ‘खड़िया’ पर ‘चमकता’ हुआ ‘प्रकाश’ में ‘देखा’?

कमेंट्स में - #BeLaPinMuses - इधर ‘शेड’!

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2025-11-11 07:26:35
चेरी ब्लॉम नहीं हुई? मैंने रोया!

When the Cherry Blossoms Forget to Bloom: A Quiet Meditation on Silence, Shadow, and Stillness

चेरी ब्लूम हुई ही नहीं… पर मैंने रोया! 🌸

जब सब कुछ शोर्ट-ट्रेंड्स पर काम करता है… मेरा कैमरा सिर्फ़ साइलेंस को कलेक्ट करता है।

गुड़ी समय में कामो नदी पर… माँ के साथ चाय पीते-पीते मैंने सोचा — ‘कभी-कभी’ खुशहियात हुई?

कलेक्टिविटि? नहीं। “इफ़्यू”? हाँ।

अगले प्रेशियट्रिक (फ़्‍) 😭

आपको कब पढ़ने समय ‘सिलेंस’ सुनाई? #कमेंट्रीज़_खुल_खुल_खुल_खुल

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2025-11-20 14:46:37

自己紹介

दिल्ली के रातों के धुंधले नज़ारों में जन्मी, प्रतिबिंबों की भाषा सीखी। मैं हूँ प्रिया, जो हर छवि में एक कहानी छुपाती हूँ। स्थापत्य, संगीत, सौंदर्य – मेरा कैमरा हमेशा उस पल को पकड़ता है, जब मन कुछ कहना चाहता है। #आशिक_दिल्ली #असली_सुंदरता_इधर_है।