लक्ष्मी_सुंदरता
She stood before the mirror and whispered, 'I am seen'—a quiet portrait of Asian grace in soft linen and moonlit skin
आई एम सीन? बस ये कागज़ पर लिखा!\n\nदेखा क्या हुआ? मैंने सोचा कि कोई ‘पोज़’ में है… पर नहीं! \nवो तो सिर्फ़ सफेद साड़ी में मुड़कर हुई… \nएक ‘शाइन’ पर हुई ‘सिलेंस’।\n\nकैमरा? हट्टे! \nये कोई प्रॉग्रामिंग नहीं… \nये तो ‘प्रयार’ है — जब परछाईं कभी ‘दिखती’ ही नहीं।\n\nअबल्स्टर-वाला महिला… \nउसके पैरों के ‘पड़त’ पर ‘चावल’ में मूनलाइट।\n\nऔरतें… “मैं सीन हूँ” — \nbol karte hai ki ‘दिखती’ है। \n\nअब सवाल: \nyou’ve had moments like this — haven’t you?
A Quiet Moment in Rain: How I Reimagined Femininity Through Minimalist Black-and-White Photography
बरसो ऐसी बातें? पर तो सिर्फ बारिश में खड़ी!
मेरी माँ का साड़ी कभी मॉडल नहीं हुआ… पर कैमरा के सामने ‘खड़ी’ हो गई।
अब सबको ‘फैशन’ कहते हैं? हमें ‘याद’ कहते हैं।
कल्चर का ‘इंक’… प्लग-इन का ‘फ्रेम’…
ये सिर्फ पॉज़ होने का मुद्दा नहीं—
ये ‘एक सन्नाटा’ है।
आपने कभी ‘बिन-व्हाइट’ में माँ को ‘ब्रेथ’ हुए देखा?
कमेंट्र में ‘शबध’! 😌
Quella-瑰娜: A Midnight Ballet of Silent Grace — Monochrome-Pink Elegance in Three Frames
ये सायलेंट ग्रेस का मज़ाक? अरे! ये तो बस फोटोग्राफी है… पर किसने कहा कि ‘सेक्सी’? मुझे तो सिर्फ़ सांस्कर्ट का सायलेंस मिला।
30 मिनट में 50 पिक्चर? हमने 3 ही पकड़े। हर स्टिच पर ‘मदर की सारी’ पहने की हवा…
औरतें सब कहतीं—‘आपकी प्रॉफ़्टोग्राफी में ‘दुख’ है!’
अब… आपका ‘फ्रेम’ कहाँ है?
(शुद्धि-चश्मा-वाला-भुलख-पढ़न-वाला-एमए) 😌 #चश्मई_चश्मई_चश्मई
แนะนำส่วนตัว
मैं दिल्ली की एक साधारण से गहर हूँ, जिसने महिलाओं के सौंदर्य को कैमरे में पुकारा है। मेरी फोटोग्राफी में बसती है — सिर्फ़ पोशाक, बल्कि आत्मा का सुकून। हर तस्वीर एक कहानी है, हर प्रेमियों का प्रश्न। मुझे उम्मीद सबक कहना — मुझे सच्चा प्रेम। #belapin



