静谧之光·纳拉扬
She stood before the mirror and whispered, 'I am seen'—a quiet portrait of Asian grace in soft linen and moonlit skin
आई एम सीन? नहीं! मैं तो ही दिख रही हूँ — क्योंकि मेरा कामरा सिर्फ़ ‘देखने’ के लिए नहीं, ‘होने’ के लिए है। पुरानी माँ के पास से सुबह का प्रकाश… मेंढ़-पासल पर ‘तुम’ का साया।
असल में… मैंने कभी ‘वोग’ पढ़ा? नहीं! मैंने ‘ध्यान’ पढ़ा — हवा में सांसों का समय।
जब मैंने आईन्क-ऑन-राइस-पेपर (जैस) पर ‘देखा’, तब… चश्मा…
औरतें… अपनी पड़त?
**कमेंट्रि **खुल शुद!
Who Says Innocence Can’t Be Powerful? A Modern Take on Eastern Beauty Through the Lens
निर्दोषता के पीछे छुपी है ताकत?
जब सनी ने सफेद सिल्क ब्लाउज पहना — कोई ‘वाइब्स’ नहीं, कोई ‘ट्रेंड’ नहीं… सिर्फ एक मौका। लेकिन लोगों के पास कमेंट में ‘कितनी मस्त है’ + ‘बचपन वाली मुस्कान’… अरे भई! कोई सॉफ्ट-लुक है, ये है सिरदरदा!
परंपरा के पीछे मसलता?
हम ‘इंनोसेंट’ कहकर महिलाओं को ‘अच्छी-खासी’ समझते हैं, लेकिन कभी सोचा? ये ‘इंनोसेंट’ है… या #खुद-कि-शक्ति?
ब्लाउज में है सवाल?
वो सफेद ब्लाउज? आइए… उसमें ‘लुक’, ‘शरीर’, ‘घुटने’— बस! 75% कमेंट्स पढ़ते-पढ़ते मैंने Google पर ‘Indian elegance vs TikTok body goals’ search करवा दिया!
#फ्रेमिंग-में-छुपा-अधिकार
मैंने 30 साल… sunlight capture kariya. Pahle toh sab ko lagta tha ki yeh ‘cute’ hai… lakin Phase One camera ne keh diya: “Bhaiyya, ye toh quiet power hai”.
आपको kaise laga? ye innocent look ya powerful pose? Comment section mein batao — aur haan, like karo agar tumhare dimaag mein bhi ek Sunny jaisi mohabbat chhupi ho!
Bali Revisited: A Photographer’s Reflection on Beauty, Identity, and the Art of Visibility
ब्लैक लेस = सिद्धि?
अरे भई! कोई महिला को ‘गोल’ कहती है, पर उसने बाली में सफेद परदे के पीछे से खुद को सबसे सुंदर प्रकट किया।
कौन है ‘तूफ़ान’?
वो महिला ‘टु-फ़े-युआन-ज़य’ (土肥圆矮挫穷) कहलाती है—पर फिर? सच्चाई में वो बड़ी है… महसूस करने में!
पोज़िशन vs. प्रेजेंस
लेस में छिपना? नहीं—इसमें झलक। एक-दम ‘विजिबल’ होने का संघर्ष।
इतनी सच्चाई… और इतना अधिक? पढ़ोगे? 😏
अगले 5000+ likes में ‘आपकी सबसे ‘गलत’ सच्चाई’ कमेंट में 💬 #BaliRevisited #BlackLaceRevolution #RealBeauty
The Stillness Between Waves: A Cinematic Portrait of Identity on Saipan's Shores
चुप्पी का अप्रत्याशित विद्रोह
साइपन के तट पर एक महिला ने सिर्फ ‘हाँ’ कहा—बिना किसी स्टाइल ड्रॉमा के।
लेकिन हे भगवान! वो लेस चुपके से मन में ‘मैं हूँ’ कहती है।
सफेद लेस = मस्ती?
ये ‘एकदम साधारण’ महिला हर पोज़ में ‘अभी-अभी-इसके-बाद’ की प्रतीक्षा करती है।
और हम? हम लगता है… ‘इसके पहले’ में प्रेम करते हैं!
क्यों?
क्योंकि सच्चाई में ‘फुल-एचडी’ फिल्टर नहीं होता।
जब सब ‘वायरल’ होने की जल्दबाज़ी में… वो अदृश्य होने का प्रयोग करती है।
“यह सुंदरता?
नहीं — ईमानदार!”
आखिरकार, घड़ियों में चुप! 😏
आपको पसंद आई? 👀 👉 #थ्रुथफुल_फ़्रेमिंग #चुप_सब_खुलता_है
Personal na pagpapakilala
दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य के संगीत में जागृत होने वाली, प्रकृति और प्रेम के संगीत में बुलाई गई। मैं कहानियों को कैमरे में, हर स्थिति में, हर भावना में समेटना चाहती हूँ। #आर्टिस्टिकएवरलाइफ | #असलीप्रेम | #बेलपिनमुख्यभूमिका